“सवालों को पूछते रहना होगा, जब तक यह हो पायेगा तब तक यह सृष्टि बची रहेगी जिसे मानव सभ्यता अपनी विकास-यात्रा कहकर इठलाती है।”
प्रभात प्रणीत
प्रभात प्रणीत का जन्म 7 अगस्त, 1977 को हाजीपुर, वैशाली (बिहार) में हुआ। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ, कहानियाँ, लेख और समीक्षाएँ प्रकाशित होती रही हैं। प्रभात की दृष्टि सूक्ष्म है और समाज की कुरीतियों, मानव जीवन की असंगतियों और वर्तमान जीवन की आपा-धापी और कठिनाइयों का गहन अन्वेषण करती है।
वे साहित्यिक संस्था और वेब पत्रिका ‘इन्द्रधनुष’ के संस्थापक सह संपादकीय निदेशक हैं। उनके दो उपन्यास- ‘यही इंतिजार होता’ और ‘वैशालीनामा’ तथा एक कविता-संग्रह ‘प्रश्न काल’ प्रकाशित है। वे पटना में रहते हैं।
“जो हमने रचा वही हमारा है”
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